इस बात से आप इनकार नहीं कर सकते हैं की दिवाली का त्यौहार तो हम सभी को बहुत पसंद होता है! पटाखों की आवाज़, दीयों की जगमगाहट, मिठाईयों का स्वाद, और सबसे बढ़कर, खुशियों से भरा माहौल…पर क्या आपने कभी सोचा है कि हम दिवाली क्यों मनाते हैं? क्या है दिवाली का पर्व के पीछे की कहानी?
तो चलिए, इस दीपावली पर मिलकर बुराइयों को हराएं और अपने अंदर की अच्छाई को जगाएं। आइए, दिवाली का महत्व (Significance of Diwali) के बारे में और विस्तृत में जानते हैं!
दिवाली क्या है?
दीपावली का दूसरा नाम दिवाली है। दिवाली भारत के सनातन धर्म का एक बहुत ही प्रसिद्ध और शुभ त्योहार है। दिवाली को ‘रोशनी का त्योहार‘ भी कहा जाता है। इस त्योहार को पाँच दिनों के लिए मनाया जाता है। पर्व के दौरान घरों की साफ़ सफ़ायी कर उन्हें नए रंगों से रंगा जाता है। शाम होने पर घरों को दिये, और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है।
नए कपड़े पहनकर घरों में माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। पूजा ख़त्म कर देने के बाद, एक-दूसरे के घर मिलने जाते हैं। वहीं एक दूसरे के साथ मिठाइयां खाते हैं और पटाखे जलाते हैं। दिवाली प्यार, खुशियों और अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है।
त्योहार | दिवाली |
अन्य नाम | दीपावली |
धर्म | हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध |
आवृत्ति | सालाना |
आराध्य | भगवान राम, देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, भगवान कृष्ण |
संबंधित त्योहार | धनतेरस, नरक चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा, भैया दूज |
दिन | शुक्रवार |
तारीख | 1 नवंबर 2024 |
दिवाली कब है?
इस साल (2024 में) दिवाली 1 नवंबर को है। दिवाली कार्तिक महीने की अमावस्या को मनायी जाती है। यह महीना अक्टूबर या नवंबर में आता है। हर साल दिवाली की तारीख बदलती है।
दिवाली क्यों मनाया जाता है?
दिवाली को मनाने के पीछे कई सारे कारण है, जिसके विषय में हम अभी जानेंगे। यहाँ पर हमने कुछ प्रमुख कारणों के बारे में ही बताया हुआ है की आख़िर क्या है दिवाली का इतिहास (History of Diwali)?
1. भगवान राम की अयोध्या वापसी
दिवाली का सबसे लोकप्रिय कारण भगवान राम की 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापसी का उपलक्ष्य में मनाया जाना है। रामायण के अनुसार, रावण का वध करके 14 वर्षों के वनवास के बाद जब भगवान राम, माता सीता, और लक्ष्मण जी अयोध्या वापस लौटे थे, तब इस खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दिये जलाकर उनका स्वागत किया था। ये उनके लिए एक ख़ुशी का पर्व था।
2. नरकासुर वध
धनतेरस के एक दिन बाद यानी दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। एक अन्य कथा के अनुसार द्वापर युग में, भगवान श्रीकृष्ण ने दिवाली के दिन ही सत्यभामा की मदद से नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था। नरक चतुर्दशी के दिन लोग शाम के समय अपने घरों के बाहर दीप जलाकर बुरी शक्तियों को दूर भगाने की परंपरा निभाते हैं।
3. माँ लक्ष्मी का अवतरण
दिवाली को धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) के पूजन के लिए भी जाना जाता है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान माँ लक्ष्मी इसी दिन समुद्र से धरती पर प्रकट हुई थीं। इसलिए दिवाली पर माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
4. भगवान गणेश का पूजन
लक्ष्मी पूजन के साथ ही दिवाली पर बुद्धि और विघ्नहर्ता भगवान गणेश (Lord Ganesha) की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि शुभ कार्यों में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है, इसलिए दीपावली पर भी उनकी पूजा कर कार्य सिद्धि की कामना की जाती है।
5. धनतेरस और धन्वंतरि का आगमन
दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि जो चिकित्सा के देवता हैं, वे आयुर्वेद और औषधियों के साथ प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस के दिन लोग धन प्राप्ति और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से बर्तन और धातु की वस्तुएं खरीदते हैं।
6. जैन धर्म में महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस
दिवाली का दिन जैन धर्म के लिए भी काफ़ी महत्वपूर्ण है। इस दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी जी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसलिए जैन मंदिरों में दिवाली के दिन विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है और इसे महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
7. विक्रमादित्य का राजतिलक
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था। कहा जाता है कि उनके शासन में प्रजा अत्यंत खुशहाल थी। इसलिए दिवाली के इस पावन अवसर में उनके याद में भी मनायी जाती है।
8. आर्य समाज से जुड़ा महत्व
दिवाली का दिन आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के निर्वाण से भी जुड़ा है। इसलिए उनके अनुयायी इस दिन उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन करते हैं।
9. सिख धर्म में महत्व
दिवाली को सिख धर्म में ‘बंदी छोड़ दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी को जहाँगीर ने ग्वालियर के किले से रिहा किया था।
10. बुराई पर अच्छाई की विजय
दिवाली को अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में भी देखा जाता है। जलाए गए दीप अज्ञानता और बुराई को दूर भगाने का प्रतीक माने जाते हैं। यह त्योहार हमें यह संदेश देता है कि हमें हमेशा सत्य और अच्छाई के मार्ग पर चलना चाहिए।
दिवाली पर क्या करते हैं?
- दिवाली के शुभ अवसर पर, हम अपने घरों को दीपकों (Diyas/Lamps) से प्रकाशित करते हैं, जिससे हमारे जीवन में उजाला और खुशियां आती हैं।
- इस दिन हम रंगोली (Rangoli) बनाकर अपने आंगन को सजाते हैं, जिससे घर में नई उर्जा और रंग भरता है।
- दिवाली पर पटाखों (Firecrackers) की आवाज़ से आसमान गूंजता है, लेकिन हम सावधानी बरतते हैं और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहते हैं।
- इस खुशी के त्योहार पर हम मिठाइयों (Sweets) का आनंद लेते हैं और अपने प्रियजनों को उपहार (Gifts) देकर उनके साथ खुशियां बांटते हैं।
- दिवाली पूजा के दौरान हम लक्ष्मी और गणेश जी की आराधना करते हैं, ताकि हमारे जीवन में समृद्धि और सफलता आए।
दीपावली का दूसरा नाम क्या है?
दीपावली का दूसरा नाम दीपोत्सव है, मतलब दीपों का उत्सव।
दीपावली का मूल अर्थ क्या है?
दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों ‘दीप‘ अर्थात ‘दिया’ व ‘आवली‘ अर्थात ‘लाइन’ या ‘श्रृंखला’ के मिश्रण से हुई है।
सारांश
उम्मीद है कि आपको ये समझ आ गयी होगी की दिवाली क्यों मनाया जाता है? दिवाली असल में बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न है। यह एक ऐसा त्यौहार है जो हमें याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी अंधेरी रात क्यों न हो, रोशनी हमेशा अपना रास्ता खोज ही लेती है।
दिवाली का सबसे प्रसिद्ध कारण भगवान राम की अयोध्या वापसी है। कहा जाता है कि 14 साल के वनवास के बाद जब राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ घर लौटे थे, तो अयोध्या के लोगों ने पूरी नगरी को दिए जलाकर उनका स्वागत किया था। यही कारण है की भारतीय संस्कृति में इस दिन का विशेष महत्व है।