क्या आप जानना चाहेंगे बसंत पंचमी क्यों मनाते है? बसंत पंचमी एक बहुत ही ख़ास त्योहार है जो हर साल जनवरी या फरवरी महीने में आता है। इसे हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि में मनाई जाती है। इस दिन माता सरस्वती देवी का जन्म हुआ था जिन्हें हम ज्ञान और बुद्धि की देवी मानते हैं। इसलिए बसंत पंचमी पर हम स्कूल जाते हैं और अपनी किताबों और नोटबुक्स की पूजा करते हैं।
ऐसा मानना है की इस दिन माता सरस्वती की पूजा करने पर वो हमें ज्ञान और बुद्धि प्रदान करते हैं। भारत में इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। प्रकृति का नजारा इस समय काफ़ी मन मोहक होता है। घर पर भी सरस्वती मूर्ति की पूजा होती है और बच्चों को नए कपड़े पहनाये जाते हैं। आगे हम जानेंगे की बसंत पंचमी में और क्या-क्या होता है और क्यों ये त्योहार इतना खास है?
बसंत पंचमी क्या है?
बसंत पंचमी (Vasant Panchami) एक ख़ास हिंदू त्योहार है जो की हर साल माघ के महीने में मनाया जाता है। Vasant Panchami (vasant अर्थात् “बसंत ऋतु” और panchami अर्थात् “पांचवां”) एक ऐसा पर्व है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के पांचवें दिन पड़ता है। इस दिन को सर्दी की समाप्ति और बसंत के आगमन की शुरुआत माना जाता है।
ये वो दिन होता है जब प्रकृति में बाहार आ जाती है – फूल खिलने शुरू हो जाते हैं और पेड़ों पर नये पत्ते भी उगने लगते हैं। इसलिए इस दिन को माघ पंचमी या श्री पंचमी भी कहते हैं। इस दिन सभी लोग अपने घर और मंदिरों को रंग बिरंगी रंगोली और फूलों से सजाते हैं।
वहीं सरस्वती माँ की पूजा भी होती है क्योंकि इस दिन को उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन सबके लिए ख़ुशी और शांति लाता है।
त्योहार | बसंत पंचमी |
तारीख | 14 फरवरी 2024 |
दिन | बुधवार |
अन्य नाम | श्री पंचमी, सरस्वती जयंती, माघ पंचमी |
धर्म | हिंदू |
आवृत्ति | वार्षिक |
आराध्य | मां सरस्वती |
संबंधित त्योहार | तक्षक पूजा, कामदेव पूजा |
बसंत पंचमी कब है?
इस वर्ष बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। बसंत पंचमी के त्योहार को प्रतिवर्ष बसंत ऋतु के शुरुआत में मनाया जाता है। यह माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है, जो कि जनवरी और फरवरी के बीच का समय होता है। हिंदू लोगों के लिए इस दिन का बहुत महत्व है।
चूँकि इसे माघ के महीने की पंचमी तिथि में मनाया जाता है इसलिए इस दिन को माघ पंचमी भी कहा जाता है।
बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है?
मान्यता के अनुसार सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा के मुख से बसंत पंचमी के ही दिन ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसी वजह से ज्ञान के उपासक सभी लोग बसंत पंचमी के दिन अपनी आराध्य देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं इस दिन को खूब उत्साह के साथ मनाया जाता है।
बसंत पंचमी का दिन विद्या आरंभ के लिए भी काफ़ी महत्वपूर्ण है। इस दिन छोटे बच्चों को शिक्षा और औपचारिक शिक्षा की दुनिया से परिचित कराने की भी रस्म है। इसी दिन से उन बच्चों की शिक्षा का प्रारम्भ होता है। बसंत पंचमी के दिन अधिकांश स्कूल और कॉलेज में सरस्वती पूजा का आयोजन होता हैं।
चूँकि माँ सरस्वती को विद्या की देवी भी माना जाता है इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है। उनकी कृपा से ही हमें ज्ञान प्राप्त होता है। इसलिए उनका शुक्रिया अदा करने के लिए हम इसलिए स्कूल और कॉलेज में उनकी पूजा करते हैं। साथ में बच्चे अपने किताबों की भी पूजा करते हैं।
बसंत पंचमी को पीले कपड़े क्यूँ पहने जाते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सरस्वती का प्रिय रंग पीला है और वहीं पीला रंग जीवन में पॉजिटिविटी, नई किरणों और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि बसंत पंचमी पर पीले रंग के वस्त्र को पहनना शुभ माना जाता है। इस पवित्र दिन पर, भक्त पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और मां सरस्वती की पूजा करने के लिए पीले फूल चढ़ाते हैं।
वहीं इस समय आपको खेतों में सरसों की खेती भी नज़र आ जाती है जो की पीले रंग की होती है। इसलिए पूरी धरती पीले रंग की प्रतीत होती है। इसलिए पीले रंग का काफ़ी ज़्यादा महत्व है बसंत पंचमी में।
बसंत पंचमी से किस ऋतु का प्रारम्भ होता है?
बसंत पंचमी से बसंत ऋतु का प्रारम्भ होता है।
बसंत पंचमी में किनकी पूजा की जाती है?
बसंत पंचमी में माता सरस्वती जी की पूजा की जाती है।
सारांश
उम्मीद है कि आपको बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है समझ आ गया होगा। बसंत पंचमी एक प्राचीन हिंदू त्योहार है जो बसंत ऋतु की शुरुआत के साथ-साथ कई अन्य शुभ घटनाओं की शुरुआत का भी प्रतीक है। यही कारण है की भारतीय संस्कृति में इस दिन का विशेष महत्व है।
हम भारतीय इस पवित्र दिन को देवी सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं, जो शिक्षा, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की देवी हैं। उनकी आराधना कर हम सभी उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।
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