आज की तिथि और शुभ मुहूर्त

आप ज़रूर से जानना चाहते हैं की आज की तारीख क्या है (Aaj Kaun Si Tithi Hai)? ये सवाल का जवाब क़रीब सभी के मन में ज़रूर आता है जब हम कोई नया काम शुरू करने वाले होते हैं या फिर कहीं जाने के बारे में सोच रहे होते हैं। एक हिंदू धर्म को मानने वाले को ये भली भाँति मालूम है की हिंदू कैलेंडर में आज की तिथि और त्यौहार का बहुत महत्व है।

यदि हम हिन्दू कैलेंडर को ही देखें तब आपको ये पता चल जाएगा की हर दिन कोई न कोई तिथि अवस्य से होती है, जैसे द्वितीया, तृतीया इत्यादि। आपको ये जानकर थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन ये सच है की सभी तिथीयों में सभी कार्यों को नहीं किया जा सकता है। कुछ तिथियाँ नया काम शुरू करने के लिए सही होता है तो कुछ तिथियाँ घर में पूजा करने के लिए।

वहीं कुछ तिथियों में अगर कोई इंसान उपवास रखे तब उसे इससे काफ़ी ज़्यादा लाभ मिलता है। इसलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले आपको सही तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण का ज्ञान होना अत्यंत आवस्यक होता है।

तो अगर आपको भी पता करना है कि आज की तिथि कौन सी है (Aaj Ki Tithi Kya Hai) तो ये लेख आपके काफ़ी काम आने वाला है। इसमें हम पूर्ण जानकारी के साथ समझेंगे कि आज कौन सी तिथि है और उससे जुड़ी कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए। तो चलिए, आज कौन सा दिन है विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं।

Aaj Kaun Si Tithi Hai 2024

हिन्दू कैलेंडर के पंचांग के अनुसार, आज है Thursday, 21 November 2024, कृष्ण पक्ष, चतुर्दशी तिथि

Here is a 2-column table with the Panchang details for 21 November 2024 in Hindi

तारीख21 नवंबर 2024
दिनगुरुवार
मासमार्गशीर्ष मास
पक्षकृष्ण पक्ष
तिथिचतुर्दशी
नक्षत्रविशाखा
योगवज्र योग
करणगर
सूर्योदय06:14 AM
सूर्यास्त17:11 PM
चंद्र राशितुला
चंद्रोदय20:36 PM
चंद्रस्त09:10 AM
राहु काल13:30 – 15:00
गुलिक काल09:00 – 10:30
यमघंट काल06:00 – 07:30
चौघड़ियाविभिन्न समयों पर
आज का शुभ रंगनीला
आज के पूज्यभगवान विष्णु
आज का मंत्र“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

कल कौन सी तिथि है?

हिन्दू कैलेंडर के पंचांग के अनुसार नीचे टेबल में, कल की तिथि के साथ-साथ, इस महीने के अलग-अलग दिनों में कौन सा पक्ष और तिथि आएगी उसके बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी। इसकी मदद से आप आगे आने वाली शुभ मुहूर्त्त की तैयारी कर पाएंगे।

तारीखदिनमासपक्षतिथि
1 नवंबर 2024शुक्रवारकार्तिककृष्ण पक्षदशमी
2 नवंबर 2024शनिवारकार्तिककृष्ण पक्षएकादशी
3 नवंबर 2024रविवारकार्तिककृष्ण पक्षद्वादशी
4 नवंबर 2024सोमवारकार्तिककृष्ण पक्षत्रयोदशी
5 नवंबर 2024मंगलवारकार्तिककृष्ण पक्षचतुर्दशी
6 नवंबर 2024बुधवारकार्तिककृष्ण पक्षअमावस्या
7 नवंबर 2024गुरुवारकार्तिकशुक्ल पक्षप्रतिपदा
8 नवंबर 2024शुक्रवारकार्तिकशुक्ल पक्षद्वितीया
9 नवंबर 2024शनिवारकार्तिकशुक्ल पक्षतृतीया
10 नवंबर 2024रविवारकार्तिकशुक्ल पक्षचतुर्थी
11 नवंबर 2024सोमवारकार्तिकशुक्ल पक्षपंचमी
12 नवंबर 2024मंगलवारकार्तिकशुक्ल पक्षषष्ठी
13 नवंबर 2024बुधवारकार्तिकशुक्ल पक्षसप्तमी
14 नवंबर 2024गुरुवारकार्तिकशुक्ल पक्षअष्टमी
15 नवंबर 2024शुक्रवारकार्तिकशुक्ल पक्षनवमी
16 नवंबर 2024शनिवारकार्तिकशुक्ल पक्षदशमी
17 नवंबर 2024रविवारकार्तिकशुक्ल पक्षएकादशी
18 नवंबर 2024सोमवारकार्तिकशुक्ल पक्षद्वादशी
19 नवंबर 2024मंगलवारकार्तिकशुक्ल पक्षत्रयोदशी
20 नवंबर 2024बुधवारकार्तिकशुक्ल पक्षचतुर्दशी
21 नवंबर 2024गुरुवारकार्तिकशुक्ल पक्षपूर्णिमा
22 नवंबर 2024शुक्रवारमार्गशीर्षकृष्ण पक्षप्रतिपदा
23 नवंबर 2024शनिवारमार्गशीर्षकृष्ण पक्षद्वितीया
24 नवंबर 2024रविवारमार्गशीर्षकृष्ण पक्षतृतीया
25 नवंबर 2024सोमवारमार्गशीर्षकृष्ण पक्षचतुर्थी
26 नवंबर 2024मंगलवारमार्गशीर्षकृष्ण पक्षपंचमी
27 नवंबर 2024बुधवारमार्गशीर्षकृष्ण पक्षषष्ठी
28 नवंबर 2024गुरुवारमार्गशीर्षकृष्ण पक्षसप्तमी
29 नवंबर 2024शुक्रवारमार्गशीर्षकृष्ण पक्षअष्टमी
30 नवंबर 2024शनिवारमार्गशीर्षकृष्ण पक्षनवमी

हिन्दू कैलेंडर में तिथि क्या है?

हिन्दू कैलेंडर में तिथि एक महत्वपूर्ण घटक है। यह सूर्य और चंद्रमा के बीच के अंतर को दर्शाता है। प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष की शुरुआत अमावस्या से होती है और पूर्णिमा पर समाप्त होती है। इसके बाद कृष्ण पक्ष की शुरुआत होती है जो अमावस्या पर खत्म होता है। प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियाँ होती हैं जिनके नाम और महत्व अलग-अलग हैं।

तिथि विभिन्न पर्वों और उत्सवों के लिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इन्हें तिथि के आधार पर मनाया जाता है। जैसे – अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति आदि। इसलिए हिंदू कैलेंडर में तिथि की गणना बहुत महत्वपूर्ण है।

तिथियों के नाम

तिथियों के नाम आपने ज़रूर से सुना ही होगा। लेकिन आप जानते हैं कि हर तिथि का क्या मतलब है? हर तिथि का अपना अर्थ और महत्व है, जो हमारे जीवन को प्रभावित करता है। तिथियों के नाम इस प्रकार हैं :

Pratipada (प्रतिपदा)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 12° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “प्रथम” या “शुरुआत”। इस तिथि में नए कार्यों की शुरूवात करने से लाभ होता है।

Dwitiya (द्वितीया)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच में 24° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “दूसरा” या “द्वार”। क्या तिथि में सहयोग और संपर्क बढ़ाने से लाभ होता है।

Tritiya (तृतीया)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच में 36° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “तीसरा” या “त्रिकोण”। क्या तिथि में शक्ति और सौभाग्य बढ़ाने से लाभ होता है।

Chaturthi (चतुर्थी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 48° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “चौथा” या “चतुर”। क्या तिथि में बुद्धि और ज्ञान बढ़ाने से लाभ होता है।

Panchami (पंचमी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 60° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “पंचवा” या “पंच”। क्या तिथि में कला और विद्या बढ़ाने से लाभ होता है।

Shashthi (षष्ठी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 72° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “छठा” या “शश”। क्या तिथि में संतान और आरोग्य बढ़ाने से लाभ होता है।

Saptami (सप्तमी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 84° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “सत्व” या “सप्त”। क्या तिथि में सूर्य की पूजा करने से लाभ होता है।

Ashtami (अष्टमी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 96° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “आठवा” या “अष्टा”। क्या तिथि में शक्ति और शांति बढ़ाने से लाभ होता है।

Navami (नवमी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच में 108° होने पर बनती है। इसका मतलब है “नउवा” या “नवा”। क्या तिथि में भक्ति और भाग्य बढ़ाने से लाभ होता है।

Dashami (दशमी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 120° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “दसवा” या “दशा”। क्या तिथि में विजय और वीरता बढ़ाने से लाभ होता है।

Ekadashi (एकादशी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 132° होने पर बनती है। इसका मतलब है “ग्यारहवा” या “एका”। क्या तिथि में उपवास और विष्णु की पूजा करने से लाभ होता है।

Dwadashi (द्वादशी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 144° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “बरहवा” या “दवा”। क्या तिथि में मोक्ष और मुक्ति बढ़ाने से लाभ होता है।

Trayodashi (त्रयोदशी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 156° होने पर बनती है। इसका मतलब है “तेरहवा” या “त्र”। क्या तिथि में शिव की पूजा करने से लाभ होता है।

Chaturdashi (चतुर्दशी)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 168° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “चौदहवा” या “चतुर”। क्या तिथि में शुभ कार्यों से बचते हैं और धन और दान बढ़ाने से लाभ होता है।

Poornima (पूर्णिमा)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 180° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “पूरा” या “पूर्ण”। क्या तिथि में चंद्रमा की किरणें हमारे मन और शरीर को शुद्ध और पवित्र करती हैं। क्या तिथि में गुरु की पूजा करने से लाभ होता है।

Amavasya (अमावस्या)

ये तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 0° होने पर बनती है। इसका अर्थ है “अंधेरा” या “अमा”। क्या तिथि में चंद्रमा दिखाई नहीं देता है। क्या तिथि में पित्रों की पूजा करने से लाभ होता है।

क्रमांकतिथितिथि का नाम हिंदी में
1Pratipadaप्रतिपदा
2Dwitiyaद्वितीया
3Tritiyaत्रितीया
4Chaturthiचतुर्थी
5Panchamiपंचमी
6Shashthiषष्ठी
7Saptamiसप्तमी
8Ashtamiअष्टमी
9Navamiनवमी
10Dashamiदसमी
11Ekadashiएकादसी
12Dwadashiद्वादसी
13Trayodashiत्रयोदसी
14Chaturdashiचतुर्दसी
15Purnimaपूर्णिमा
16Amavasyaअमावस्या

तिथियों के देवता

पहले भी शायद आपने तिथियों के देवता के बारे में सुना ही होगा। लेकिन आप क्या जानते हैं कि हर तिथि का क्या देवता है? हर तिथि का अपना देवता है, जो उस तिथि में पूजन योग्य होते हैं। चलिए तिथियों के देवता के बारे में जानते हैं:

प्रतिपदा

इस तिथि का देवता अग्नि है, जो अग्नि तत्व का प्रतिनिधि है। अग्नि हमारे जीवन में शक्ति, तेज और उज्ज्वलता प्रदान करते हैं।

द्वितीय

इस तिथि का देवता ब्रह्मा है, जो सृष्टि का कर्ता है। ब्रह्मा हमारे जीवन में ज्ञान, रचना और विकास प्रदान करते हैं।

तृतीया

इस तिथि का देवता गौरी है, जो शक्ति का रूप है। गौरी हमारे जीवन में सौभाग्य, ऐश्वर्या और कल्याण प्रदान करते हैं।

चतुर्थी

इस तिथि का देवता गणेश है, जो विघ्नहर्ता भी है। गणेश हमारे जीवन में बुद्धि, सिद्धि और मंगल प्रदान करते हैं।

पंचमी

इस तिथि का देवता नाग है, जो भूमि के रक्षक हैं। नाग हमारे जीवन में कला, विद्या और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

षष्ठी

इस तिथि का देवता कार्तिकेय है, जो सेनापति है। कार्तिकेय हमारे जीवन में संतान, आरोग्य और वीरता प्रदान करते हैं।

सप्तमी

इस तिथि का देवता सूर्य है, जो प्रकाश का स्त्रोत है। सूर्य हमारे जीवन में तेज, उज्ज्वलता और स्वास्थ्य प्रदान करते हैं।

अष्टमी

इस तिथि का देवता रुद्र है, जो शिव का रूप है। रुद्र हमारे जीवन में शक्ति, शांति और मुक्ति प्रदान करते हैं।

नवमी

इस तिथि का देवता दुर्गा है, जो शक्ति का रूप है। दुर्गा हमारे जीवन में भक्ति, भाग्य और विजय प्रदान करते हैं।

दशमी

इस तिथि का देवता विष्णु है, जो पालन करता है। विष्णु हमारे जीवन में कृपा, आनंद और शांति प्रदान करते हैं।

एकादशी

इस तिथि का देवता यम है, जो मृत्यु का स्वामी है। यम हमारे जीवन में न्याय, धर्म और मोक्ष प्रदान करते हैं।

द्वादशी

इस तिथि का देवता वासुदेव है, जो विष्णु का रूप है। वासुदेव हमारे जीवन में प्रेम, करुणा और क्षमा प्रदान करते हैं।

त्रयोदशी

इस तिथि का देवता शिव है, जो संहार करता है। शिव हमारे जीवन में ज्ञान, तपस्या और मुक्ति प्रदान करते हैं।

चतुर्दशी

इस तिथि का देवता काली है, जो शक्ति का रूप है। काली हमारे जीवन में शक्ति, भय और विनाश प्रदान करते हैं।

पूर्णिमा

इस तिथि का देवता चन्द्र है, जो चन्द्रमा भी कहलाते है। चन्द्र हमारे जीवन में शीतलता, मनोहरता और रस प्रदान करते हैं।

अमावस्या

इस तिथि का देवता पितृ है, जो हमारा पूर्वज है। पितृ हमारे जीवन में आशीर्वाद, श्रद्धा और कल्याण प्रदान करते हैं।

तिथिदेवतापूजन का फल
प्रतिपदाअग्निधान्य और धन की प्राप्ति
द्वितीयाब्रह्मासभी विद्याओं में पारंगत होना
तृतीयाकुबेरविपुल धन प्राप्ति
चतुर्थीगणेशविघ्नों का नाश
पंचमीनागविष भय न होना, संतान प्राप्ति
षष्ठीकार्तिकेयमेधा, सौंदर्य और ख्याति प्राप्ति
सप्तमीसूर्यरक्षा प्राप्ति
अष्टमीशिवज्ञान और कांति प्राप्ति
नवमीदुर्गासंसार सागर पार करना
दशमीयमरोग निवारण और मृत्यु से मुक्ति
पूर्णिमाचंद्रसंसार पर आधिपत्य
अमावस्यापितरप्रजा वृद्धि, आयु वृद्धि आदि

तिथि कब बदलती है?

Tithi kab badalti hai, इसे जानने के लिए हमें ये जानना होगा की तिथि कैसे बनती है? ये हमने पहले ही जान चुका है तिथि कैसे बनती है में।

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की, Tithi का बदलना ये सूर्य और चंद्रमा की गति और स्तिथी पर निर्भर करता है। सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे के साथ या एक दूसरे के विपरीत घूमते हैं। इसके बीच का कोना बदलता रहता है। सूर्य और चंद्रमा की गति में भी अंतर होता है।

सूर्य एक दिन में लगभाग 1° घुमता है, जबकी चंद्रमा एक दिन में लगभाग 13° घुमता है। इसका मतलब है कि चंद्रमा सूर्य से तेज़ घूमता है। इसलिए, तिथि हर दिन बदलती है। तिथि का बदलना एक दिन से कम या ज्यादा भी हो सकता है, क्योंकि तिथि का निर्माण समय के आधार पर होता है।

तिथियां कितनी होती है?

तिथियां कितनी होती है? इसका जवाब है एक वर्ष में 360 तिथियाँ बनती हैं।

सूर्य और चंद्रमा एक साल में एक बार पूरा चक्कर लगाते हैं साथ में एक दूसरे के साथ भी घूमते रहते हैं। इसलिए एक साल में 12 अमावस्या और 12 पूर्णिमा बनाती हैं। हर अमावस्या और पूर्णिमा के बीच में 15 तिथियां बनती हैं। इसे एक साल में 360 तिथियां बनती हैं।

क्या तिथि हमारे ऊपर असर डालती है?

जी दोस्तों तिथि का हमारे ऊपर काफ़ी ज़्यादा असर पड़ता है। ये तिथि हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है जो हमारे कर्म भाग्य को निर्धारित करती है।

तिथि के अनुसार ही हम अपने कार्यों का शुभ मुहूर्त चुनते हैं। वहीं तिथि के अनुसार ही हम अपने देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। तिथि के अनुसार ही हम अपने त्योहारों और व्रतों का पालन करते हैं। तिथि हमारे जीवन का एक आदर्श मापदण्ड है, जो हमारे जीवन को सही दिशा देता है।

हिन्दू पंचांग में तिथि कैसे बनती है?

तिथि क्या है, ये जानने के लिए, हमें ये भी जानना जरूरी है कि तिथि कैसी बनती है। तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा की गति और स्थिति के आधार पर होता है।

सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे के साथ या एक दूसरे के विपरीत घूमते हैं। इसके बीच का कोना बदलता रहता है। जब सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे के साथ होते हैं, तब उनके बीच का कोना 0° होता है। इसे अमावस्या बनती है।

जब सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे के विपरीत होते हैं, तब उनके बीच का कोना 180° होता है। इसे पूर्णिमा बनती है. और जब सूर्य और चंद्रमा के बीच का कोना 12° बढ़ता है, तब एक तिथि बनती है।

इस तरह से 15 तिथियां एक पक्ष में और 30 तिथियां एक मास में बनती हैं।

तिथि कैसे पता करें?

तिथि पता करने के लिए आप हिन्दू पंचांग का अनुसरण कर सकते हैं, जिसमें चंद्रमास के आधार पर तिथियाँ निर्धारित होती हैं।

हिन्दू पंचांग किसने बनाया?

हिन्दू पंचांग का निर्माण प्राचीन काल से भारत में होता आ रहा है, और इसका उपयोग खगोलीय वस्तुओं की दशा और स्थिति की गणना के लिए किया जाता है।

निष्कर्ष

मुझे उम्मीद है की अभी तक आपको “Aaj Kaun Si Tithi Hai” के बारे में सबकूछ पता चल ही चुका होगा। इस आधुनिक युग में भी लोगों का विश्वास हिंदू पंचांग से उठा नहीं है। आज भी वो तिथि को महत्वपूर्ण मानते हैं किसी भी नयी या सुभ कार्य की शुरूवात करने से पहले।

मैं उम्मीद करता हूं कि आपको आज की तिथि की जानकारी पसंद आई होगी आशा करता हूं आपको हिंदू पंचांग और तिथियों के बारे में यह जानकारी पसंद आयी होगी। भविष्य में भी हम ऐसे ही धार्मिक और ज्ञानवर्धक लेख लिखते रहेंगे।

यदि अभी भी आपके मन में किसी भी प्रकार की कोई शंक़ा आज की तिथि क्या है? को लेकर उत्पन्न हो रही हो तब आप हमें नीचे के comment section में अपने सवाल लिखकर पूछ सकते हैं। वहीं यदि आपको ये पोस्ट अच्छी लगी हो तब अपने दोस्तों के साथ इसे ज़रूर से share अवस्य करें। धनयवाद।