बहुत से लोगों को ये मालूम ही नहीं है की सरस्वती पूजा क्यों मनाया जाता है? आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की हमारे हिंदू सनातन धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी मानी जाती है। उनके आशीर्वाद के बिना हम कुछ भी नहीं सीख सकते हैं। इसलिए हम सरस्वती पूजा के दिन इनकी पूजा करते हैं उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए।
इस दिन स्कूल और कॉलेज में माता सरस्वती जी की पूजा की जाती है। सभी बच्चे नए कपड़े पहनकर और अपनी अपनी किताबें लेकर स्कूल आते हैं और पूजा करते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम सरस्वती पूजा क्यों मनाते है के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे। तो बिना देरी के चलिए शुरू करते हैं।
सरस्वती पूजा क्या है?
सरस्वती पूजा हिन्दू धर्म में मनाई जाने वाली एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण पूजा है। इसे हर साल जनवरी-फरवरी के महीने में मनाया जाता है। इस दिन हम सब मिलकर विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की उपासना और पूजा करते हैं।
माता सरस्वती के चार भुजा मन, बुद्धि, सतर्कता और अहंकार का प्रतीक हैं। सरस्वती माता हंस की सवारी करती हैं क्योंकि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हंस ही एक मात्र प्राणी है जिसमें दूध को पानी से अलग करने की अनोखी प्रतिभा होती है। जो की, यह इंगित करता है कि जो मनुष्य देवी सरस्वती की पूजा करता है उसमें बुरे और अच्छे में अंतर करने का गुण स्वतः ही आ जाता है।
त्योहार | सरस्वती पूजा |
तारीख | 14 फरवरी 2024 |
दिन | बुधवार |
अन्य नाम | बसंत पंचमी |
धर्म | हिंदू |
आवृत्ति | वार्षिक |
आराध्य | मां सरस्वती |
संबंधित त्योहार | बसंत पंचमी, मकर संक्रांति |
सरस्वती पूजा कब है?
सरस्वती पूजा इस वर्ष 14 फरवरी 2023 हो मनाया जाएगा। हर साल जनवरी या फरवरी महीने में सरस्वती पूजा आती है। यह माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है।
तो तैयार हो जाइए इस दिन मिलकर माँ सरस्वती की पूजा करने के लिए।
सरस्वती पूजा क्यों मनाया जाता है?
सरस्वती पूजा का बहुत बड़ा महत्व है हमारे लिए क्योंकि ये हमारी देवी मां सरस्वती को समर्पित है। माँ सरस्वती हमारी देवी हैं जोकि ज्ञान और शिक्षा की देवी मानी जाती हैं। उन्होंने ही संसार को पढने-लिखने की विद्या सिखाई थी। तो उनकी कृपा से ही हम आज पढ़-लिख सकते हैं और बुद्धिमान बन सकते हैं। इसलिए हर साल बसंत ऋतु आते ही हम लोग मिलकर माँ सरस्वती का धन्यवाद देने के लिए उनकी पूजा करते हैं। ये हमें और भी ज्ञानवर्द्धक बनाता है।
यह त्योहार सभी विद्वानों और छात्रों के लिए बहुत महत्व रखता है। ऐसा इसलिए क्यूँकि यदि कोई व्यक्ति शुद्ध समर्पण और भक्ति के साथ देवी सरस्वती की पूजा करता है तब माता उन पर प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं। ऐसा भी मानना है की संगीत के क्षेत्र में देवी सरस्वती के आशीर्वाद के बिना किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिल सकती है।
यूँ कहे तो यह पूजा नकारात्मकता को भी दूर करती है और पूरे परिवार के लिए सकारात्मकता लाती है। इस दिन भक्त माता को मिठायी, फल और खिचड़ी अर्पण करते हैं, उसके बाद ही इसे प्रसाद के रूप में आपस में बाँटकर खाया जाता है।
सरस्वती बीज मंत्र
सरस्वती बीज मंत्र का मतलब है वो बीज मंत्र जिसका उपयोग माता सरस्वती जी की आराधना करने के लिए किया जाता है। छात्र भी इस मंत्र का जाप प्रतिदिन कर सकते हैं सरस्वती माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए। ये मंत्र कुछ इस प्रकार है
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥
Saraswati Namastubhyam Varade Kaamarupini
Vidyaarambham Karishyaami Siddhirbhavatu Me Sadaa.
सरस्वती पूजा के दिन किस भगवान की पूजा की जाती है?
सरस्वती पूजा के दिन माता सरस्वती के साथ साथ कामदेव जी की भी पूजा की जाती है।
माता सरस्वती को कौन सा रंग सबसे ज़्यादा प्रिय है?
माता सरस्वती को पिला रंग और सफ़ेद रंग सबसे ज़्यादा प्रिय है।
सारांश
उम्मीद है कि अब आपको पता चल गया होगा कि हम सब लोग Saraswati Puja Kyu Manaya Jata Hai। ये बहुत ही खास दिन होता है जब हम सब मिलकर देवी मां सरस्वती की पूजा करते हैं। हम उनसे यह विनती करते हैं कि वो हमें सदबुद्धि और ज्ञान प्रदान करें, ताकि हम अच्छी पढ़ाई कर सकें और बड़े होकर अच्छे इंसान बन सकें।
इस पूजा से हम सबमें एक जुड़ाव और सामंजस्य भी पैदा होता है। तो आइए, हर साल Saraswati Puja मनाएं और उनका आशीर्वाद लें! ऐसी ही जानकारी के लिए हमारे Blog पर नियमित आते रहे हैं।