महावीर जयंती क्यों मनाया जाता है? जानें महत्व और इतिहास

यहाँ हम महावीर जयंती क्यों मनाया जाता है के बारेमें जानेंगे। भारत त्योहारों का देश है, और इनमें से एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है महावीर जयंती। यह पर्व जैन धर्म के अहिंसा और आत्म-शुद्धि के सिद्धांतों का उत्सव है। महावीर जयंती, भगवान महावीर के जन्म की स्मृति में मनाई जाती है, जो जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे।

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महावीर स्वामी त्याग, संयम और गहन तपस्या के प्रतीक हैं। महावीर जयंती जैन धर्म के अनुयायियों के लिए ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति विशेष के लिए प्रेरणादायक है जो शांति और आत्म-विकास का पथ खोज रहा है। महावीर स्वामी के दर्शन में सभी जीवों के प्रति करुणा और नैतिक जीवन जीने का संदेश मिलता है।

क्या आप इन महान आध्यात्मिक गुरु के जीवन और जैन धर्म के गूढ़ सिद्धांतों के बारे में अधिक जानने के लिए उत्सुक हैं? तो चलिए, इस लेख में महावीर जयंती का इतिहास, उनके उपदेशों, जैन दर्शन, और महावीर जयंती को मनाने के तरीकों पर गहराई से चर्चा करते हैं।

महावीर जयंती क्या है?

महावीर जयंती भारत में प्रतिवर्ष मनाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सव है। यह जैन धर्म के संस्थापक और प्रवर्तक महावीर स्वामी के जन्मदिवस को चिह्नित करता है।

महावीर स्वामी का जन्म वर्षः 599 ई.पू. में हुआ था और उन्होंने अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह जैसे अनेक नैतिक सिद्धांतों का प्रचार किया था। महावीर जयंती के अवसर पर जैन मंदिरों में विशेष पूजा और प्रार्थना होती है, साथ ही शैक्षिक संस्थानों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

त्योहारमहावीर जयंती
अन्य नामवीर जयंती, महावीर जन्म कल्याणक
अनुयायीजैन
प्रकारधार्मिक
महत्वजैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, महावीर का जन्मदिन
उत्सवप्रार्थना, अभिषेक, रैली, दान
आवृत्तिवार्षिक
संबंधित त्यौहारदिवाली
तारीख21 अप्रैल 2024

महावीर जयंती कब मनाया जाता है?

हर साल चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 में महावीर जयंती 21 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी।

यह दिन पूर्ण जिनेन्द्र भगवान महावीर स्वामी के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है। महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और आखिरी तीर्थंकर थे।

महावीर जयंती का इतिहास

जैन परंपरा के अनुसार, महावीर स्वामी का जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व में कुंडग्राम (वर्तमान बिहार राज्य में) में हुआ था। उनके पिता का नाम सिद्धार्थ था जो एक क्षत्रिय शासक थे और माता का नाम त्रिशला था।

बचपन में उनका नाम वर्द्धमान था। महावीर जयंती का इतिहास बहुत प्राचीन है। जानकारों के मुताबिक़ यह त्योहार लगभग 2600 साल से मनाया जा रहा है।

महावीर जयंती मनाने के पीछे क्या कारण है?

महावीर जयंती मनाने के पीछे कई सारे कारण छुपे हुए हैं। भगवान महावीर के जन्मोत्सव के उत्सव को महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है।

महावीर स्वामी ने अपने जीवनकाल में जैन धर्म को पुनर्जीवित किया और अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांतवाद जैसे सिद्धांतों का प्रचार किया। उनके जीवन और उपदेशों को याद करने और सम्मान देने के लिए महावीर जयंती का त्योहार मनाया जाता है।

उन्होंने आध्यात्मिक मुक्ति और सत्य के लिए एक गहरा मार्ग प्रदर्शित किया। महावीर जी के सिद्धांत अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अकिंचन्य पर आधारित हैं। वो खुद शांति, करुणा और सम्मान के प्रतीक हैं। इसलिए उनके जन्म उत्सव को महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है ताकि लोग उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें और उनके मार्गदर्शन पर चल सकें।

महावीर स्वामी के उपदेश (Teachings of Lord Mahavira)

महावीर स्वामी ने अपने जीवन के दौरान कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

अहिंसा (Non-violence)

यह महावीर स्वामी का मुख्य सिद्धांत था। उन्होंने सभी प्राणियों के प्रति करुणा और अहिंसा पर जोर दिया।

सत्य (Truth)

महावीर स्वामी ने सत्य बोलने और जीवन में सत्य के महत्व पर खूब बल दिया।

अपरिग्रह (Non-attachment)

उन्होंने मानव जीवन में आसक्ति और संग्रह को कम करने पर जोर दिया ताकि बाद में आसानी से आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त की जा सके।

ब्रह्मचर्य (Celibacy)

उन्होंने संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करने पर भी जोर दिया ताकि मन और आत्मा को शांत और शुद्ध रखा जा सके।

अकिंचन्य (Non-possession)

यह सिद्धांत भौतिक वस्तुओं के प्रति आसक्ति से मुक्त होने पर केंद्रित है।

भगवान महावीर ने अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांतवाद, सत्य और अस्तेय जैसे सिद्धांतों का प्रचार किया। इन सिद्धांतों का पालन यदि कोई मनुष्य पूरी निष्ठा से करेगा, तब वो व्यक्ति निस्चित ही मोक्ष प्राप्त कर सकता है।

जैन धर्म के सिद्धांत

जैन धर्म के मूल सिद्धांतों में अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), अनेकांतवाद और अपरिग्रह शामिल हैं। इन सिद्धांतों का पालन करने से आत्मा की शुद्धि होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जैन धर्म के मुख्य उपदेशों में से एक अनेकांतवाद भी है, जिसका मतलब है कि एक ही सत्य के कई पहलू हो सकते हैं।

जैन धर्म के मुख्य सिद्धांत हैं:

जैन धर्म के सिद्धांतसिद्धांत के अर्थ
अहिंसाकिसी भी जीव को नुकसान न पहुंचाना।
अपरिग्रहभौतिक वस्तुओं से मोह न रखना।
अनेकांतवादहर वस्तु के अनेक दृष्टिकोण होते हैं।
सत्यहमेशा सच बोलना।
अस्तेयचोरी न करना।

महावीर जयंती का महत्व (Importance of Mahavir Jayanti)

महावीर जयंती जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व उन्हें भगवान महावीर के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है। इसके साथ ही यह पर्व हमें नैतिक जीवन जीने, दूसरों के प्रति दया और करुणा दिखाने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करता है।

महावीर जयंती का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:

आध्यात्मिक महत्व

यह त्योहार हमें भौतिकवाद से दूर और आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है। यह हमें एक अवसर प्रदान करता है जिससे हम आत्म-चिंतन और आत्म-विकास कर सकें।

शांति का संदेश

महावीर जयंती हम सभी को अहिंसा और शांति का मंत्र देती है। यह हमें शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सद्भाव की भी याद दिलाती है।

सामाजिक महत्व

सामाजिक महत्व की बात करें तब यह त्योहार लोगों को एकजुट करता है और उनमें परस्पर सम्मान और भाईचारे की भावना पैदा करता है।

सांस्कृतिक महत्व

महावीर जयंती भारतीय सभ्यता और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारी गौरवशाली विरासत को बनाए रखने में मदद करता है।

पर्यावरण संरक्षण

जैन धर्म पर्यावरण संरक्षण पर बहुत जोर देता है। महावीर जयंती लोगों को पर्यावरण के प्रति सम्मानपूर्वक व्यवहार करने की याद दिलाती है।

महावीर जयंती कैसे मनाते हैं?

महावीर जयंती जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा पूरे भारत में मनाई जाती है। महावीर जयंती के अवसर पर जैन समुदाय और अन्य लोग विभिन्न तरीकों से इस पवित्र त्योहार को मनाते हैं। कुछ प्रमुख तरीके इस प्रकार हैं:

जैन मंदिरों में विशेष पूजा और आरती

लोग जैन मंदिरों में जाकर महावीर स्वामी की मूर्तियों की विशेष पूजा और आरती करते हैं। जैन मंदिरों में भक्ति गीत और भजन गाए जाते हैं तथा प्रवचन और कथा भी आयोजित की जाती हैं। इन सभी आनंद लोगों द्वारा लिया जाता है।

वर्षा वास और दीक्षा ग्रहण समारोह

इस दिन जैन साधु-साधिकाएं वर्षावास का समापन और नए साधु-साधिकाओं की दीक्षा का आयोजन करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक समारोह होता है जो ख़ास इसी जयंती के समय ही किया जाता है।

उपवास और व्रत रखना

उपवास और व्रत का अलग ही प्रावधान है। कई जैन महावीर जयंती पर निर्जला या अन्य उपवास करते हैं। वे आत्मशुद्धि और तपस्या के लिए व्रत भी रखते हैं।

बुजुर्ग जैनों का आशीर्वाद लेना

जैन धर्म में बुजुर्ग लोगों का हमेशा से आदर किया जाता रहा है। महावीर जयंती पर भी बच्चे और युवा वर्ग बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते हैं और उनका सम्मान करते हैं।

मिठाइयों और विशेष भोजन का वितरण

जैन अनुयायी अपने घरों में विशेष मिठाइयों और भोजन तैयार करते हैं और साथ में दूसरों के यहाँ इन्हें वितरण किया जाता है। इतना ही नहीं, गरीबों और जरूरतमंदों को भी भोजन और वस्त्र बांटे जाते हैं।

रैलियां और शोभायात्राएं

महावीर जयंती के अवसर पर कई शहरों में महावीर जयंती के अवसर पर शांति रैली और सभ्यता की शोभायात्राएं भी निकाली जाती हैं।

इस तरह से महावीर जयंती धार्मिक उत्साह, सामाजिक भावना और आध्यात्मिक समझ से मनाई जाती है। यह न केवल जैन समुदाय के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए शांति, करुणा और बंधुत्व का संदेश लेकर आती है।

महावीर जयंती समारोह

महावीर जयंती के अवसर पर कई समारोह आयोजित किए जाते हैं। इन समारोहों में भगवान महावीर के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित भाषण, नाटक और प्रदर्शनियां आयोजित की जाती हैं।

महावीर जयंती परंपराएं

महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्म के अनुयायी कई परंपराओं का पालन करते हैं। इनमें से कुछ परंपराएं हैं:

  • उपवास: जैन धर्म के अनुयायी इस दिन उपवास रखते हैं और अहिंसा का पालन करते हैं।
  • दान: इस धर्म के अनुयायी इस दिन दान करते हैं और जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं।
  • प्रार्थना: जैन धर्म के अनुयायी इस दिन भगवान महावीर से प्रार्थना करते हैं और उनके जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं।

महावीर भगवान कौन है?

महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। 

महावीर जयंती कौन मनाते हैं?

महावीर जयंती मुख्य रूप से जैन अनुयायीयों द्वारा मनाया जाता है।

जैन धर्म के संस्थापक कौन हैं?

जैन धर्म के संस्थापक प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव या आदिनाथ हैं।

सारांश

उम्मीद है कि आपको अब तक महावीर जयंती क्यों मनाया जाता है ये समझ में आ चुका होगा। यहाँ हमने जैन धर्म के बारे में कई सारी बातें भी करी हैं। वहीं महावीर जयंती कब, क्यूँ और कैसे मनाया जाता है इस विषय में भी जाना।

महावीर जयंती जैन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व तो है ही, साथ ही यह सभी मनुष्यों के लिए आत्म-चिंतन का अवसर भी है। भगवान महावीर के जीवन और शिक्षाएं हमें एक ऐसे जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं जो अहिंसा, दया, सत्यनिष्ठा, और आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर चलता है।

आइए, हम इस पर्व से प्रेरणा लेकर नैतिक मूल्यों को जीवन में उतारने का संकल्प लें और एक बेहतर और शांतिपूर्ण समाज के निर्माण में अपना योगदान दें। ऐसी ही धर्म और संस्कृति के विषय में जानने के लिए हमारे ब्लॉग पर ज़रूर से नियमित आते रहें।